अध्याय 16 श्लोक 4
हे पृथापुत्र! दम्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध, कठोरता तथा अज्ञान - ये सारे आसुरी स्वभाव वालों के गुण हैं |
अध्याय 16 : दैवी और आसुरी स्वभाव
श्लोक 16.4
दम्भो दर्पोSभिमानश्र्च क्रोधः पारुष्यमेव च |
दम्भो दर्पोSभिमानश्र्च क्रोधः पारुष्यमेव च |
अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम् || ४ ||
दम्भः - अहंकार; दर्पः - घमण्ड; अभिमानः - गर्व; च - भी; क्रोधः - क्रोध, गुस्सा; पारुष्यम् - निष्ठुरता; एव - निश्चय ही; च - तथा; अज्ञानम् - अज्ञान; च - तथा; अभिजातस्य - उत्पन्न हुए के; पार्थ - हे पृथापुत्र; सम्पदम् - गुण; आसुरीम् - आसुरी प्रकृति |
भावार्थ
हे पृथापुत्र! दम्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध, कठोरता तथा अज्ञान - ये सारे आसुरी स्वभाव वालों के गुण हैं |
भावार्थ
हे पृथापुत्र! दम्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध, कठोरता तथा अज्ञान - ये सारे आसुरी स्वभाव वालों के गुण हैं |
तात्पर्य
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