अध्याय 11 श्लोक 10 - 11
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Tuesday, 26 January 2016
अध्याय 11 श्लोक 11 - 9 , BG 11 - 9 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 9
संजय ने कहा – हे राजा! इस प्रकार कहकर महायोगेश्र्वर भगवान् ने अर्जुन को अपना विश्र्वरूप दिखलाया |
अध्याय 11 श्लोक 11 - 8 , BG 11 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 8
किन्तु तुम मुझे अपनी इन आँखों से नहीं देख सकते । अतः मैं तुम्हें दिव्य आँखें दे रहा हूँ । अब मेरे योग ऐश्र्वर्य को देखो ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 7 , BG 11 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 7
हे अर्जुन! तुम जो भी देखना चाहो, उसेतत्क्षण मेरे इस शरीर में देखो । तुम इस समय तथा भविष्य में भी जो भी देखना चाहते हो, उसको यह विश्र्व रूप दिखाने वाला है । यहाँ एक ही स्थान पर चर-अचर सब कुछ है ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 6 , BG 11 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 6
हे भारत! लो, तुम आदित्यों, वसुओं, रुद्रों, अश्र्विनीकुमारों तथा अन्य देवताओं के विभिन्न रूपों को यहाँ देखो । तुम ऐसे अनेक आश्चर्यमय रूपों को देखो, जिन्हें पहले किसी ने न तो कभी देखा है, न सुना है ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 5 , BG 11 - 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 5
भगवान् ने कहा - अर्जुन, हे पार्थ! अब तुम मेरे ऐश्र्वर्य को, सैकड़ों-हजारों प्रकार के दैवी तथा विविध रंगों वाले रूपों को देखो ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 4 , BG 11 - 4 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 4
हे प्रभु! हे योगेश्र्वर!यदि आप सोचतेहैं कि मैं आपके विश्र्वरूप को देखने में समर्थ हो सकता हूँ, तो कृपा करके मुझे अपना असीम विश्र्वरूप दिखलाइये।
Monday, 25 January 2016
अध्याय 11 श्लोक 11 - 3 , BG 11 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 3
हे पुरुषोत्तम, हे परमेश्र्वर!यद्यपि आपको मैं अपने समक्ष आपके द्वारा वर्णित आपके वास्तविक रूप में देख रहा हूँ, किन्तु मैं यह देखने का इच्छुक हूँ कि आप इस दृश्य जगत में किस प्रकार प्रविष्ट हुए हैं ।मैं आप के उसी रूप का दर्शन करना चाहता हूँ ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 2 , BG 11 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 2
हे कमलनयन! मैंने आपसे प्रत्येक जीव की उत्पत्ति तथा लय के विषय में विस्तार आपकी अक्षय महिमा का अनुभव किया है ।
अध्याय 11 श्लोक 11 - 1 , BG 11 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 11 श्लोक 1
अर्जुन ने कहा – आपने जिन अत्यन्त गुह्य आध्यात्मिक विषयों का मुझे उपदेश दिया है, उसे सुनकर अब मेरा मोह दूर हो गया है |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 42 , BG 10 - 42 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 42
किन्तु हे अर्जुन! इस सारे विशद ज्ञान की आवश्यकता क्या है? मैं तो अपने एक अंश मात्र से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में व्याप्त होकर इसको धारण करता हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 41 , BG 10 - 41 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 41
तुम जान लो कि सारा ऐश्र्वर्य, सौन्दर्य तथा तेजस्वी सृष्टियाँ मेरे तेज के एक स्फुलिंग मात्र से उद्भूत हैं |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 40 , BG 10 - 40 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 40
हे परन्तप! मेरी दैवी विभूतियों का अन्त नहीं है | मैंने तुमसे जो कुछ कहा, वह तो मेरी अनन्त विभूतियों का संकेत मात्र है |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 39 , BG 10 - 39 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 39
यही नहीं, हे अर्जुन! मैं समस्त सृष्टि का जनक बीज हूँ | ऐसा चार तथा अचर कोई भी प्राणी नहीं है, जो मेरे बिना रह सके |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 38 , BG 10 - 38 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 38
अराजकता को दमन करने वाले समस्त साधनों में मैं दण्ड हूँ और जो विजय के आकांक्षी हैं उनकी मैं नीति हूँ | रहस्यों में मैं मौन हूँ और बुद्धिमानों में ज्ञान हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 37 , BG 10 - 37 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 37
मैं वृष्णिवंशियों में वासुदेव और पाण्डवों में अर्जुन हूँ | मैं समस्त मुनियों में व्यास तथा महान विचारकों में उशना हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 36 , BG 10 - 36 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 36
मैं छलियों में जुआ हूँ और तेजस्वियों में तेज हूँ | मैं विजय हूँ, साहस हूँ और बलवानों का बल हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 35 , BG 10 - 35 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 35
मैं सामवेद के गीतों में बृहत्साम हूँ और छन्दों में गायत्री हूँ | समस्त महीनों में मैं मार्गशीर्ष (अगहन) तथा समस्त ऋतुओं में फूल खिलने वाली वसन्त रितु हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 34 , BG 10 - 34 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 34
मैं सर्वभक्षी मृत्यु हूँ और मैं ही आगे होने वालों को उत्पन्न करने वाला हूँ | स्त्रियों में मैं कीर्ति, श्री, वाक्, स्मृति, मेधा, धृति तथा क्षमा हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 33 , BG 10 - 33 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 33
अक्षरों में मैं अकार हूँ और समासों में द्वन्द्व समास हूँ | मैं शाश्र्वत काल भी हूँ और स्त्रष्टाओं में ब्रह्मा हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 32 , BG 10 - 32 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 32
हे अर्जुन! मैं समस्त सृष्टियों का आदि, मध्य और अन्त हूँ | मैं समस्त विद्याओं में अध्यात्म विद्या हूँ और तर्कशास्त्रियों में मैं निर्णायक सत्य हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 31 , BG 10 - 31 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 31
समस्त पवित्र करने वालों में मैं वायु हूँ, शस्त्रधारियों में राम, मछलियों में मगर तथा नदियों में गंगा हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 30 , BG 10 - 30 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 30
दैत्यों में मैं भक्तराज प्रह्लाद हूँ, दमन करने वालों में काल हूँ, पशुओं में सिंह हूँ, तथा पक्षियों में गरुड़ हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 29 , BG 10 - 29 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 29
अनेक फणों वाले नागों में मैं अनन्त हूँ और जलचरों में वरुणदेव हूँ | मैं पितरों में अर्यमा हूँ तथा नियमों के निर्वाहकों में मैं मृत्युराज यम हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 28 , BG 10 - 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 28
मैं हथियारों में वज्र हूँ, गायों में सुरभि, सन्तति उत्पत्ति के कारणों में प्रेम के देवता कामदेव तथा सर्पों में वासुकि हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 27 , BG 10 - 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 27
घोड़ो में मुझे उच्चैःश्रवा जानो, जो अमृत के लिए समुद्र मन्थन के समय उत्पन्न हुआ था | गजराजों में मैं ऐरावत हूँ तथा मनुष्यों में राजा हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 26 , BG 10 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 26
मैं समस्त वृक्षों में अश्र्वत्थ हूँ और देवर्षियों में नारद हूँ | मैं गन्धर्वों में चित्ररथ हूँ और सिद्ध पुरुषों में कपिल मुनि हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 25 , BG 10 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 25
मैं महर्षियों में भृगु हूँ, वाणी में दिव्य ओंकार हूँ, समस्त यज्ञों में पवित्र नाम का कीर्तन (जप) तथा समस्त अचलों में हिमालय हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 24 , BG 10 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 24
हे अर्जुन! मुझे समस्त पुरोहितों में मुख्य पुरोहित ब्रहस्पति जानो | मैं ही समस्त सेनानायकों में कार्तिकेय हूँ और समस्त जलाशयों में समुद्र हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 23 , BG 10 - 23 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 23
मैं समस्त रुद्रों में शिव हूँ, यक्षों तथा राक्षसों में सम्पत्ति का देवता (कुबेर) हूँ, वसुओं में अग्नि हूँ और समस्त पर्वतों में मेरु हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 22 , BG 10 - 22 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 22
मैं वेदों में सामवेद हूँ, देवों में स्वर्ग का राजा इन्द्र हूँ, इन्द्रियों में मन हूँ, तथा समस्त जीवों में जीवनशक्ति (चेतना) हूँ |
अध्याय 10 श्लोक 10 - 21 , BG 10 - 21 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 10 श्लोक 21
मैं आदित्यों में विष्णु, प्रकाशों में तेजस्वी सूर्य, मरुतों में मरीचि तथा नक्षत्रों में चन्द्रमा हूँ |
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