अध्याय 17 श्लोक 1
अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण! जो लोग शास्त्र के नियमों का पालन न करके अपनी कल्पना के अनुसार पूजा करते हैं, उनकी स्थिति कौन सी है? वे सतो गुणी हैं, रजो गुणी हैं या तमो गुणी?
अध्याय 17 : श्रद्धा के विभाग
श्लोक 17.1
अर्जुन उवाच |
अर्जुन उवाच |
ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः |
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः || १ ||
अर्जुनःउवाच - अर्जुन ने कहा; ये - जो; शास्त्र-विधिम् - शास्त्रों के विधान को; उत्सृज्य - त्यागकर; यजन्ते - पूजा करते हैं; श्रद्धया - पूर्ण श्रद्धा से; आन्विताः - युक्त; तेषाम् - उनकी; निष्ठा - श्रद्धा; तु - लेकिन; का - कौनसी; कृष्ण - हे कृष्ण; सत्त्वम् - सतोगुणी; आहो - अथवा अन्य; रजः - रजोगुणी; तमः - तमोगुणी ।
भावार्थ
अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण! जो लोग शास्त्र के नियमों का पालन न करके अपनी कल्पना के अनुसार पूजा करते हैं, उनकी स्थिति कौन सी है? वे सतो गुणी हैं, रजो गुणी हैं या तमो गुणी?
भावार्थ
अर्जुन ने कहा - हे कृष्ण! जो लोग शास्त्र के नियमों का पालन न करके अपनी कल्पना के अनुसार पूजा करते हैं, उनकी स्थिति कौन सी है? वे सतो गुणी हैं, रजो गुणी हैं या तमो गुणी?
तात्पर्य
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