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Sunday 5 April 2020

अध्याय 18 श्लोक 18 - 69 , BG 18 - 69 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 69


इस संसार में उसकी अपेक्षा कोई अन्य सेवक न तो मुझे अधिक प्रिय है और न कभी होगा |


अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की सिद्धि

श्लोक 18.69






न च तस्मान्मनुष्येषु कश्र्चिन्मे प्रियकृत्तमः |

भविता न च मे तस्मादन्यः प्रियतरो भुवि || ६९ ||






- कभी नहीं; - तथा; तस्मात् - उसकी अपेक्षा; मनुष्येषु - मनुष्यों में; कश्र्चित् - कोई; मे - मुझको; प्रिय-कृत्-तमः - अत्यन्त प्रिय;भविता - होगा; - न तो; - तथा; मे - मुझको; तस्मात् - उसकी अपेक्षा उससे; अन्यः - कोई; प्रिय-तरः - अधिक प्रिय; भुवि - इस संसार में |






भावार्थ



इस संसार में उसकी अपेक्षा कोई अन्य सेवक न तो मुझे अधिक प्रिय है और न कभी होगा |






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