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Sunday 5 April 2020

अध्याय 18 श्लोक 18 - 42 , BG 18 - 42 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 18 श्लोक 42


शान्तिप्रियता, आत्मसंयम, तपस्या, पवित्रता, सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा, ज्ञान,विज्ञान तथा धार्मिकता – ये सारे स्वाभाविक गुण हैं, जिनके द्वारा ब्राह्मण कर्मकरते हैं |


अध्याय 18 : उपसंहार - संन्यास की सिद्धि

श्लोक 18.42






शमो दमस्तपः शौचं क्षान्तिरार्जवमेव च |

ज्ञानं विज्ञानमास्तिक्यं ब्रह्मकर्म स्वभावजम् || ४२ ||


शमः– शान्तिप्रियता; दमः– आत्मसंयम; तपः– तपस्या; शौचम्– पवित्रता;क्षान्तिः– सहिष्णुता; आर्जवम्– सत्यनिष्ठा; एव– निश्चय ही; – तथा; ज्ञानम्–ज्ञान; विज्ञानम्– विज्ञान; आस्तिक्यम्– धार्मिकता; ब्रह्म– ब्राह्मण का; कर्म–कर्तव्य; स्वभावजम्– स्वभाव से उत्पन्न, स्वाभाविक |



भावार्थ





शान्तिप्रियता, आत्मसंयम, तपस्या, पवित्रता, सहिष्णुता, सत्यनिष्ठा, ज्ञान,विज्ञान तथा धार्मिकता – ये सारे स्वाभाविक गुण हैं, जिनके द्वारा ब्राह्मण कर्मकरते हैं |






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