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Friday 3 April 2020

अध्याय 14 श्लोक 14 - 13 , BG 14 - 13 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 14 श्लोक 13

जब तमोगुण में वृद्धि हो जाती है, तो हे कुरुपुत्र! अँधेरा, जड़ता, प्रमत्तता तथा मोह का प्राकट्य होता है |


अध्याय 14 : प्रकृति के तीन गुण

श्लोक 14.13



अप्रकाशोSप्रवृत्तिश्र्च प्रमादो मोह एव च |
तमस्येतानि जायन्ते विवृद्धे कुरुनन्दन || १३ ||




अप्रकाशः - अँधेरा; अप्रवृत्तिः - निष्क्रियता; - तथा; प्रमादः - पागलपन; मोहः - मोह; एव - निश्चय ही; - भी; तमसि - तमोगुण; एतानि - ये; जायन्ते - प्रकट होते हैं; विवृद्धे - बढ़ जाने पर; कुरु-नन्दन - हे कुरुपुत्र |



भावार्थ



जब तमोगुण में वृद्धि हो जाती है, तो हे कुरुपुत्र! अँधेरा, जड़ता, प्रमत्तता तथा मोह का प्राकट्य होता है |



तात्पर्य




जहाँ प्रकाश नहीं होता, वहाँ ज्ञान अनुपस्थित रहता है | तमोगुणी व्यक्ति किसी नियम में बँधकर कार्य नहीं करता | वह अकारण ही अपनी सनक के अनुसार कार्य करना चाहता है | यद्यपि उसमें कार्य करने की क्षमता होती है, किन्तु वह परिश्रम नहीं करता | यह मोह कहलाता है | यद्यपि चेतना रहती है, लेकिन जीवन निष्क्रिय रहता है | ये तमोगुण के लक्षण हैं |



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