अध्याय 1 श्लोक 12
तब कुरुवंश के
वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह-गर्जना की सी ध्वनि करने
वाले अपने शंख को उच्च स्वर से बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ |
अध्याय 1: कुरुक्षेत्र के युद्धस्थल में सैन्यनिरीक्षण
श्लोक 1 . 12
तस्य सञ्जनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः |
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् || १२ ||
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान् || १२ ||
तस्य – उसका; सञ्जयनयन् – बढाते हुए; हर्शम् –
हर्ष; कुरु-वृद्धः – कुरुवंश के वयोवृद्ध (भीष्म); पितामहः – पितामह, बाबा;
सिंह-नादम् – सिंह की सी गर्जना; विनद्य – गरज कर; उच्चैः - उच्च स्वर से;
शङखम् – शंख; दध्मौ – बजाया; प्रताप-वान् – बलशाली |
भावार्थ
तब कुरुवंश के वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह-गर्जना की सी ध्वनि करने वाले अपने शंख को उच्च स्वर से बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ |
तात्पर्य
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