अध्याय 13 श्लोक 3
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Sunday, 7 July 2019
अध्याय 13 श्लोक 13 - 3 , BG 13 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 13 श्लोक 13 - 1 - 2 , BG 13 - 1 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 13 श्लोक 1 - 2
Saturday, 6 July 2019
अध्याय 12 श्लोक 12 - 20 , BG 12 - 20 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 20
अध्याय 12 श्लोक 12 - 18 - 19 , BG 12 - 18 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 18 - 19
अध्याय 12 श्लोक 12 - 17 , BG 12 - 17 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 17
अध्याय 12 श्लोक 12 - 16 , BG 12 - 16 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 16
अध्याय 12 श्लोक 12 - 15 , BG 12 - 15 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 15
जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुँचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं किया जाता, जो सुख-दुख में, भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 13 -14 , BG 12 - 13 - 14 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 13 - 14
जो किसी से द्वेष नहीं करता, लेकिन सभी जीवों का दयालु मित्र है, जो अपने को स्वामी नहीं मानता और मिथ्या अहंकार से मुक्त है, जो सुख-दुख में समभाव रहता है, सहिष्णु है, सदैव आत्मतुष्ट रहता है, आत्मसंयमी है तथा जो निश्चय के साथ मुझमें मन तथा बुद्धि को स्थिर करके भक्ति में लगा रहता है, ऐसा भक्त मुझे अत्यन्त प्रिय है |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 12 , BG 12 - 12 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 12
यदि तुम यह अभ्यास नहीं कर सकते, तो ज्ञान के अनुशीलन में लग जाओ | लेकिन ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्म फलों का परित्याग क्योंकि ऐसे त्याग से मनुष्य को मनःशान्ति प्राप्त हो सकती है |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 11 , BG 12 - 11 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 11
किन्तु यदि तुम मेरे इस भावनामृत में कर्म करने में असमर्थ हो तो तुम अपने कर्म के समस्त फलों को त्याग कर कर्म करने का तथा आत्म-स्थित होने का प्रयत्न करो |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 10 , BG 12 - 10 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 10
यदि तुम भक्तियोग के विधि-विधानों का भी अभ्यास नहीं कर सकते, तो मेरे लिए कर्म करने का प्रयत्न करो, क्योंकि मेरे लिए कर्म करने से तुम पूर्ण अवस्था (सिद्धि) को प्राप्त होगे |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 9 , BG 12 - 9 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 9
हे अर्जुन, हे धनञ्जय! यदि तुम अपने चित्त को अविचल भाव से मुझ पर स्थिर नहीं कर सकते, तो तुम भक्तियोग के विधि-विधानों का पालन करो | इस प्रकार तुम मुझे करने की चाह उत्पन्न करो |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 8 , BG 12 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 8
मुझ भगवान् में अपने चित्त को स्थिर करो और अपनी साड़ी बुद्धि मुझमें लगाओ | इस प्रकार तुम निस्सन्देह मुझमें सदैव वास करोगे |
अध्याय 12 श्लोक 12 - 6, 7 , BG 12 - 6, 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 12 श्लोक 6 - 7
जो अपने सारे कार्यों को मुझमें अर्पित करके तथा अविचलित भाव से मेरी भक्ति करते हुए मेरी पूजा करते हैं और अपने चित्तों को मुझ पर स्थिर करके निरन्तर मेरा ध्यान करते हैं, उनके लिए हे पार्थ! मैं जन्म-मृत्यु के सागर से शीघ्र उद्धार करने वाला हूँ |
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