अध्याय 1 श्लोक 42
Thursday 31 January 2013
Wednesday 30 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 41 , BG 1 - 41 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 41
अवांछित सन्तानों की वृद्धि से निश्चय ही परिवार के लिए तथा पारिवारिक परम्परा को विनष्ट करने वालों के लिए नारकीय जीवन उत्पन्न होता है | ऐसे पतित कुलों के पुरखे (पितर लोग) गिर जाते हैं क्योंकि उन्हें जल तथा पिण्ड दान देने की क्रियाएँ समाप्त हो जाती हैं |
Tuesday 29 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 40 , BG 1 - 40 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 40
हे कृष्ण! जब कुल में अधर्म प्रमुख हो जाता है तो कुल की स्त्रियाँ दूषित हो जाती हैं और स्त्रीत्व के पतन से हे वृष्णिवंशी! अवांछित सन्तानें उत्पन्न होती हैं |
Monday 28 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 39 , BG 1 - 39 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 39
कुल का नाश होने पर सनातन कुल-परम्परा नष्ट हो जाती है और इस तरह शेष कुल भी अधर्म में प्रवृत्त हो जाता है |
Sunday 27 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 37 , 38 , BG 1 - 37 , 38 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 37 - 38
हे जनार्दन! यद्यपि लोभ से अभिभूत चित्त वाले ये लोग अपने परिवार को मारने या अपने मित्रों से द्रोह करने में कोई दोष नहीं देखते किन्तु हम लोग, जो परिवार के विनष्ट करने में अपराध देख सकते हैं, ऐसे पापकर्मों में क्यों प्रवृत्त हों?
Saturday 26 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 36 , BG 1 - 36 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 36
यदि
हम ऐसे आततायियों का वध करते हैं तो हम पर पाप चढ़ेगा, अतः यह उचित नहीं
होगा कि हम धृतराष्ट्र के पुत्रों तथा उनके मित्रों का वध करें | हे
लक्ष्मीपति कृष्ण! इससे हमें क्या लाभ होगा? और अपने ही कुटुम्बियों को मार
कर हम किस प्रकार सुखी हो सकते हैं?
Friday 25 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 32 , 33 , 34 , 35 , BG 1 - 32 , 33 , 34 , 35 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 32 - 35
हे गोविन्द! हमें राज्य, सुख अथवा इस जीवन से क्या लाभ! क्योंकि जिन सारे लोगों के लिए हम उन्हें चाहते हैं वे ही इस युद्धभूमि में खड़े हैं |
Thursday 24 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 31, BG 1 - 31 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 31
हे कृष्ण! इस युद्ध में अपने ही स्वजनों का वध करने से न तो मुझे कोई अच्छाई दिखती है और न, मैं उससे किसी प्रकार कि विजय, राज्य या सुख की इच्छा रखता हूँ |
Tuesday 22 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 30, BG 1 - 30 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 30
मैं यहाँ अब और अधिक खड़ा रहने में असमर्थ हूँ | मैं अपने को भूल रहा हूँ और मेरा सिर चकरा रहा है | हे कृष्ण! मुझे तो केवल अमंगल के कारण दिख रहे हैं |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 29, BG 1 - 29 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 29
मेरा सारा शरीर काँप रहा है, मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं, मेरा गाण्डीव धनुष मेरे हाथ से सरक रहा है और मेरी त्वचा जल रही है |
Monday 21 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 28, BG 1 - 28 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 28
अर्जुन ने कहा – हे कृष्ण! इस प्रकार युद्ध कि इच्छा रखने वाले मित्रों तथा सम्बन्धियों को अपने समक्ष उपस्थित देखकर मेरे शरीर के अंग काँप रहे हैं और मेरा मुँह सूखा जा रहा है |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 27, BG 1 - 27 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 27
जब कुन्तीपुत्र अर्जुन ने मित्रों तथा सम्बन्धियों की इन विभिन्न श्रेणियों को देखा तो वह करुणा से अभिभूत हो गया और इस प्रकार बोला |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 26, BG 1 - 26 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 26
अर्जुन ने वहाँ पर दोनों पक्षों की सेनाओं के मध्य में अपने चाचा-ताउओं, पितामहों, गुरुओं, मामाओं, भाइयों, पुत्रों, पौत्रों, मित्रों, ससुरों और शुभचिन्तकों को भी देखा |
Saturday 19 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 25, BG 1 - 25 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 25
भीष्म, द्रोण तथा विश्र्व भर के अन्य समस्त राजाओं के सामने भगवान् ने कहा कि हे पार्थ! यहाँ पर एकत्र सारे कुरुओं को देखो |
Friday 18 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 24, BG 1 - 24 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 24
संजय ने कहा - हे भरतवंशी! अर्जुन द्वारा इस प्रकार सम्बोधित किये जाने पर भगवान् कृष्ण ने दोनों दलों के बीच में उस उत्तम रथ को लाकर खड़ा कर दिया |
Wednesday 16 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 23 , BG 1 - 23 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 23
मुझे उन लोगों को देखने दीजिये जो यहाँ पर धृतराष्ट्र के दुर्बुद्धि पुत्र (दुर्योधन) को प्रसन्न करने की इच्छा से लड़ने के लिए आये हुए हैं |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 21 , 22 , BG 1 - 21 , 22 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 21 - 22
अर्जुन ने कहा - हे अच्युत! कृपा करके मेरा रथ दोनों सेनाओं के बीच में ले चलें जिससे मैं यहाँ युद्ध की अभिलाषा रखने वालों को और शस्त्रों कि इस महान परीक्षा में, जिनसे मुझे संघर्ष करना है, उन्हें देख सकूँ |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 20 , BG 1 - 20 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 20
उस समय हनुमान से अंकित ध्वजा लगे रथ पर आसीन पाण्डुपुत्र अर्जुन अपना धनुष उठा कर तीर चलाने के लिए उद्यत हुआ | हे राजन् ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को व्यूह में खड़ा देखकर अर्जुन ने श्रीकृष्ण से ये वचन कहे |
Monday 14 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 19 , BG 1 - 19 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 19
इन विभिन्न शंखों की ध्वनि कोलाहलपूर्ण बन गई जो आकाश तथा पृथ्वी को शब्दायमान करती हुई धृतराष्ट्र के पुत्रों के हृदयों को विदीर्ण करने लगी
Sunday 13 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 16 , 17 , 18 , BG 1 - 16 , 17 , 18 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 16 - 18
हे राजन्! कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अपना अनन्तविजय नामक शंख बजाया तथा नकुल और सहदेव ने सुघोष एवं मणिपुष्पक शंख बजाये | महान धनुर्धर काशीराज, परम योद्धा शिखण्डी, धृष्टद्युम्न, विराट, अजेय सात्यकि, द्रुपद, द्रौपदी के पुत्र तथा सुभद्रा के महाबाहु पुत्र आदि सबों में अपने-अपने शंख बजाये |
Saturday 12 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 15 , BG 1 - 15 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 15
भगवान् कृष्ण ने अपना पाञ्चजन्य शंख बजाया, अर्जुन ने देवदत्त शंख तथा अतिभोजी एवं अतिमानवीय कार्य करने वाले भीम ने पौण्ड्र नामक शंख बजाया |
Thursday 10 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 14 , BG 1 - 14 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 14
दूसरी ओर से श्र्वेत घोड़ों द्वारा खींचे जाने वाले विशाल रथ पर आसीन कृष्ण तथा अर्जुन ने अपने-अपने दिव्य शंख बजाये |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 13 , BG 1 - 13 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 13
तत्पश्चात् शंख, नगाड़े, बिगुल, तुरही तथा सींग सहसा एकसाथ बज उठे | वह समवेत स्वर अत्यन्त कोलाहलपूर्ण था |
अध्याय 1 श्लोक 1 - 12 , BG 1 - 12 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 12
तब कुरुवंश के
वयोवृद्ध परम प्रतापी एवं वृद्ध पितामह ने सिंह-गर्जना की सी ध्वनि करने
वाले अपने शंख को उच्च स्वर से बजाया, जिससे दुर्योधन को हर्ष हुआ |
Wednesday 9 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 11 , BG 1 - 11 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 11
अतएव सैन्यव्यूह में अपने-अपने मोर्चों पर खड़े रहकर आप सभी भीष्म पितामह को पूरी-पूरी सहायता दें ।
Tuesday 8 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 10 , BG 1 - 10 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 10
हमारी शक्ति
अपरिमेय है और हम सब पितामह द्वारा भलीभाँति संरक्षित हैं, जबकि पाण्डवों
की शक्ति भीम द्वारा भलीभाँति संरक्षित होकर भी सीमित है ।
Monday 7 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 9 , BG 1 - 9 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 9
ऐसे अन्य वीर
भी हैं जो मेरे लिए अपना जीवन त्याग करने के लिए उद्यत हैं । वे विविध
प्रकार के हथियारों से सुसज्जित हैं और युद्धविद्या में निपुण हैं ।
Sunday 6 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 8 , BG 1 - 8 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 8
मेरी सेना में स्वयं आप,
भीष्म, कर्ण, कृपाचार्य; अश्र्वत्थामा, विकर्ण तथा सोमदत्त का पुत्र
भूरिश्रवा आदि हैं जो युद्ध में सदैव विजयी रहे हैं ।
Saturday 5 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 7 , BG 1 - 7 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 7
किन्तु हे
ब्राह्मणश्रेष्ठ! आपकी सूचना के लिए मैं अपनी सेना के उन नायकों के विषय
में बताना चाहूँगा जो मेरी सेना को संचालित करने में विशेष रूप से निपुण
हैं ।
अध्याय 1 श्लोक 1 - 6 , BG 1 - 6 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 6
पराक्रमी युधामन्यु, अत्यन्त शक्तिशाली उत्तमौजा, सुभद्रा का पुत्र तथा द्रोपदी के पुत्र - ये सभी महारथी हैं ।
अध्याय 1 श्लोक 1 - 5 , BG 1 - 5 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 5
इनके साथ ही धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज, पुरुजित्, कुन्तिभोज तथा शैब्य जैसे महान शक्तिशाली योद्धा भी हैं ।
Friday 4 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 4 , BG 1 - 4 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 4
इस सेना में भीम तथा अर्जुन के समान युद्ध करने वाले अनेक वीर धनुर्धर हैं - यथा महारथी युयुधान, विराट तथा द्रुपद ।
Thursday 3 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 3 , BG 1 - 3 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 3
हे आचार्य! पाण्डुपुत्रों की विशाल सेना को देखें, जिसे आपके बुद्धिमान् शिष्य द्रुपद के पुत्र ने इतने कौशल से व्यवस्थित किया है ।
Wednesday 2 January 2013
अध्याय 1 श्लोक 1 - 2 , BG 1 - 2 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 2
संजय ने कहा - हे राजन! पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे ।
संजय ने कहा - हे राजन! पाण्डुपुत्रों द्वारा सेना की व्यूहरचना देखकर राजा दुर्योधन अपने गुरु के पास गया और उसने ये शब्द कहे ।
अध्याय 1 श्लोक 1 - 1 , BG 1 - 1 Bhagavad Gita As It Is Hindi
अध्याय 1 श्लोक 1
धृतराष्ट्र ने कहा -- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?
धृतराष्ट्र ने कहा -- हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में युद्ध की इच्छा से एकत्र हुए मेरे तथा पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ?