Translate

Tuesday 8 March 2016

अध्याय 11 श्लोक 11 - 18 , BG 11 - 18 Bhagavad Gita As It Is Hindi

 अध्याय 11 श्लोक 18
आप परम आद्य ज्ञेय वास्तु हैं | आप इस ब्रह्माण्ड के परम आधार (आश्रय) हैं | आप अव्यय तथा पुराण पुरुष हैं | आप सनातन धर्म के पालक भगवान् हैं | यही मेरा मत है |



अध्याय 11 : विराट रूप

श्लोक 11 .18



त्वमक्षरं परमं वेदितव्यं
त्वमस्य विश्र्वस्य परं निधानम् |
त्वमव्ययः शाश्र्वतधर्मगोप्ता
सनातनस्त्वं पुरुषो मतो मे || १८ ||




त्वम् – आप; अक्षरम् – अच्युत; परमम् – परम; वेदितव्यम् – जानने योग्य; त्वम् – आप; अस्य – इस; विश्र्वस्य – विश्र्व के; परम् – परम; निधानम् – आधार; त्वम् – आप; अव्ययः – अविनाशी; शाश्र्वत-धर्म-गोप्ता – शाश्र्वत धर्म के पालक; सनातनः – शाश्र्वत; त्वम् – आप; पुरुषः – परमपुरुष; मतः मे – मेरा मत है |



भावार्थ

आप परम आद्य ज्ञेय वास्तु हैं | आप इस ब्रह्माण्ड के परम आधार (आश्रय) हैं | आप अव्यय तथा पुराण पुरुष हैं | आप सनातन धर्म के पालक भगवान् हैं | यही मेरा मत है |







1  2  3  4  5  6  7  8  9  10

11  12  13  14  15  16  17  18  19   20

21  22  23  24  25  26  27  28  29  30

31  32  33  34  35  36  37  38  39  40

41  42  43  44  45  46  47  48  49  50

51  52  53  54  55




<< © सर्वाधिकार सुरक्षित भक्तिवेदांत बुक ट्रस्ट >>



Note : All material used here belongs only and only to BBT .
For Spreading The Message Of Bhagavad Gita As It Is 
By Srila Prabhupada in Hindi ,This is an attempt to make it available online , 
if BBT have any objection it will be removed .

No comments:

Post a Comment

Hare Krishna !!